बैठ छांव दरख्त ए चिनार की ले लूं रस मीठे गुलनार की बैठ छांव दरख्त ए चिनार की ले लूं रस मीठे गुलनार की
तोड़ा था जो पत्ता तुमने उस शाख का, सुना है शजर में अभी जान बाकी है। तोड़ा था जो पत्ता तुमने उस शाख का, सुना है शजर में अभी जान बाकी है।
कभी अर्श पर , कभी फर्श पर । जीवन चलता , इसी तर्ज पर ।। कभी अर्श पर , कभी फर्श पर... कभी अर्श पर , कभी फर्श पर । जीवन चलता , इसी तर्ज पर ।। कभी अर्श...
पढ़ना कभी कविताएं पढ़ना कभी कविताएं
तिनका-तिनका समेट कर रखा है दिल की दीवारों में नज़रबंद। मेरे रोशनी के पंख। तिनका-तिनका समेट कर रखा है दिल की दीवारों में नज़रबंद। मेरे रोशनी के पंख।
भौतिकवाद की इस आँधी में उजड़ी हर परिपाटी गुम। भौतिकवाद की इस आँधी में उजड़ी हर परिपाटी गुम।